Shyari part-02

Thursday, 17 April 2014

हठीलो राजस्थान-60



तीरथ न्हाया नह कदै,
नायो नह शिव-माथ |
छिनेक जुंझ कमावियो,
सारो पुन इक साथ ||३५८||


इस धरती के लोगों ने कभी तीर्थ-स्थान किया है और शिव के आगे मस्तक झुकाया है | इन्होने तो क्षण भर रण-भूमि में जूझ कर ही सारा पुण्य एक साथ कमा लिया है |

सुर - धर जावण इण धरा ,
मारग फंटे अनेक |
सूधौ मारग जस भरयौ,
धारा तीरथ एक ||३५९||


इस धरती से स्वर्ग गमन के कई मार्ग जाते है | लेकिन इन मार्गों में एक ऐसा मार्ग है जो सीधा भी है यश से परिपूर्ण भी | यह मार्ग तलवार की धार रूपी तीर्थ में स्नान करके स्वर्ग जाने का है | अर्थात रण-भूमि में शौर्य प्रदर्शित करते हुए जो शहीद होते है वे सीधे स्वर्ग गमन करते है |

नह जोगां नह तिथ मुरत,
नह अडिक, अध सेस |
धारा तीरथ न्हावतां,
सूधो सुरग प्रवेस ||३६०||


तो किसी प्रकार के योग की आवश्यकता है और ही किसी तिथि, मुहूर्त का इन्तजार करना पड़ता है ,अपितु तलवार की धार रूपी तीर्थ में जो स्नान करता है उसे सीधे स्वर्ग में प्रवेश मिलता है क्योंकि उसके कोई भी पाप शेष नहीं रहते अर्थात पाप भी तलवार की धार से (शहादत से) कट जाते है |


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