हरिया
गिर,बन,ढोर,खग,
हरी साख हरखाय |
मन हरिया मिनखांण रा,
बिरहण एक सिवाय ||२८०||
हरी साख हरखाय |
मन हरिया मिनखांण रा,
बिरहण एक सिवाय ||२८०||
हरे पहाड़,वन,पशु,पक्षी,हरी
भरी फसल आज सभी वर्षा के आने से प्रसन्न है | एक विरहणी को छोड़कर सभी मनुष्यों के मन हर्षित हो
गए है |
भादरवा
बरसो भल,
तौ बरस्यां सरसाय |
धरणी, परणी, धावडी,
जड़ जंगम जंगलाय ||२८१||
तौ बरस्यां सरसाय |
धरणी, परणी, धावडी,
जड़ जंगम जंगलाय ||२८१||
भाद्रपद के महीने में
हुई बरसात बहुत अच्छी होती है | इससे
ही प्रकृति में हरियाली छाती है | धरती
,विवाहित स्त्रियाँ व कन्याओं सहित सभी जड़ व चेतन
सरसित हो उठते है |
भादरवै
गोगा नमी,
गोगाजी रै थान |
इण धर मेला नित भरै,
गावै तेजो गान ||२८२||
गोगाजी रै थान |
इण धर मेला नित भरै,
गावै तेजो गान ||२८२||
भादवे में महीने में
गोगा-नवमी पर गोगाजी के स्थान पर मेला भरता है किन्तु इस धरती पर प्रतिदिन ही मेले
भरते रहते है ,जहाँ तेजस्वी लोगों के गीत गाये जाते है |
बिरख
बिलुमी बेलड़ी,
तन रंग ढकियो छाय |
ज्यूँ बूढ़ा भरतार पर,
नई नार छा जाय || २८३||
तन रंग ढकियो छाय |
ज्यूँ बूढ़ा भरतार पर,
नई नार छा जाय || २८३||
बेलें पेड़ों के चारों
और लिपट गई है और अपने रंग-बिरंगे फूलों से उसे ढक लिया है ,वैसे ही ,जैसे
कोई नवयौवना अपने वृद्ध पति पर पूरी तरह छा जाती है |
जीमण
लासां जुगत सूं,
मिल मिल भीतडलाह |
लुल लुल लेवै लावणी,
गावै गीतडलाह ||२८४||
मिल मिल भीतडलाह |
लुल लुल लेवै लावणी,
गावै गीतडलाह ||२८४||
इस प्रदेश के किसान
आवश्यकता पड़ने पर सब मिलकर एक किसान की मदद के लिए काम करते है व उस दिन उसी के
यहाँ भोजन करते है जिसको "ल्हास" कहते है | फसल की कटाई (लावणी) के लिए गांव के मित्रगण
"ल्हास" पर जाते है ,प्रेम
पूर्वक गीत गाते हुए फसल की कटाई करते है व वहीँ पर भोजन करते है |
चढियो
मालै छोकरों,
हथ गोपण हथियार |
जीव जलमतां धान में ,
चिड़िया दल भरमार ||२८५||
हथ गोपण हथियार |
जीव जलमतां धान में ,
चिड़िया दल भरमार ||२८५||
फसल में दाना पड़ने पर
चिड़ियों के असंख्य झुंडों से उसकी रक्षा करने के लिए कृषक पुत्र हाथ में गोफन
(जिससे दूर तक पत्थर फेंका जा सकता है) लेकर मचान पर चढ़ बैठा है |
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