धनी खगां, वचना धनी,
धनी रूप सिणगार |
अख खजानों इण धरा,
धनी साहित संसार ||३४३||
धनी रूप सिणगार |
अख खजानों इण धरा,
धनी साहित संसार ||३४३||
इस धरती पर तलवार के धनियों का (शूरवीरों का) ,व वचनों के धनियों का (दृढ प्रतिज्ञों का) व सुन्दरता व श्रृंगार के धनियों का अक्षय भंडार है | इसीलिए इनका वर्णन करने हेतु रचा गया यहाँ का साहित्य भी समृद्ध है |
रतन जड़ित भीतां छतां,
झीणी कोरण झांख |
सोधावै इतिहास गल,
मोदावै मन-आँख ||३४४||
झीणी कोरण झांख |
सोधावै इतिहास गल,
मोदावै मन-आँख ||३४४||
यहाँ की इमारतों की दीवारों व छतों पर रत्न जड़े दिखाई देते है किन्तु पैनी दृष्टि से देखने पर इनके अन्दर इतिहास की बाते दिखाई देती है जिससे आँखे व मन आनंद से मुदित हो जाता है |
महलां, दुरगां मंदिरां,
लाग्या हाथ प्रवीन |
बरस सैकड़ा बीत गया,
दीसै आज नवीन ||३४५||
लाग्या हाथ प्रवीन |
बरस सैकड़ा बीत गया,
दीसै आज नवीन ||३४५||
दक्ष हाथों से निर्मित यहाँ के दुर्ग,महल व मंदिर जिनका निर्माण हुए सैकड़ों वर्ष व्यतीत हो गए आज भी नवीन दिखाई देते है |
अमर नाम राखण इला,
पग पग खड़ा निवास |
अजै समेटयां आप में,
फुटराई इतिहास ||३४६||
पग पग खड़ा निवास |
अजै समेटयां आप में,
फुटराई इतिहास ||३४६||
इस धरती पर अमर नाम रखने के लिए यहाँ जगह जगह ऐसी इमारते खड़ी हुई है जो अब तक भी अपने में उत्कृष्ट सौन्दर्य और इतिहास समेटे हुए है |
देखो आंख्यां एक टक,
मंदिर मूरत साथ |
सुन्दरता अर स्याम नै,
नम नम नावो माथ ||३४७||
मंदिर मूरत साथ |
सुन्दरता अर स्याम नै,
नम नम नावो माथ ||३४७||
अपनी आँखों से अपलक यहाँ के मंदिरों और मूर्तियों को देखो तथा मंदिरों के इस अदभुत सौन्दर्य व मूर्ति में स्थित प्रभु के दर्शन कर इन्हें बारम्बार अपना मस्तक नवाओ |
विधना रचिया जतन सूं,
घोटक सुभट सु-नार |
चित्र बणातां इण धरा,
कीधो घणो सुधार ||३४८||
घोटक सुभट सु-नार |
चित्र बणातां इण धरा,
कीधो घणो सुधार ||३४८||
विधाता ने बहुत यत्न से यहाँ के घोड़ों,वीरों और श्रेष्ठ नारियों की सृष्टि की है | इस धरती पर इनकी रचना करते हुए विधाता ने भी अपनी रचना कला में अदभुत सुधार किया है |
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