रगत बहायौ रोसतां,
रंगी धर, फण सेस |
दिल्ली-जड़
ढिल्ली करी,
मारू मुरधर देस ||७६||
मरुधर देश
राजस्थान ने जब क्रोध किया ,तो रक्त बह उठा जिसने शेषनाग के फण पर टिकी धरती रंग गई और
दिल्ली की जड़े ढीली हो गई | अर्थात दिल्ली के शासकों को भी विचलित कर दिया |
सूरां सतियाँ
सेहरो,
सेखा धरती सान |
तो माटी में
निपजै,
बढ़ बढ़ नर बलवान ||७७||
यह शान वाली
शेखावाटी की धरा वीरों सतियों का सेहरा है | इस धरती पर एक से एक महान वीर पैदा होते है |
धरती आ ढुंढ़ाड़
री,
दिल्ली हन्दी ढाल
|
भुजबल इण रै आसरै,
नित नित देस
निहाल ||७८||
ढुंढ़ाड़ (जयपुर,आमेर राज्य) की
यह धरती सदा दिल्ली की रक्षक रही है | इसके बल के भरोसे ही देश हमेशा कृतार्थ व
सुरक्षा के प्रति निश्चिन्त रहा है |
धरती आ जैसाण री,
बरती कदै न और |
पाणी जठे पातळ
में,
नारी नैणा कौर ||७९||
जैसलमेर की वीर
भोग्या वसुंधरा को कभी भी कोई आक्रान्ता अधिकृत नहीं कर सका | इस क्षेत्र की
विशेषता है कि यहाँ पर पानी या तो पाताल में है या नारी के नेत्रों में |
सूर,धनी, चंगों मनां,
व्हालो, नेह विसेस |
देस विदेसां
जाणसी,
जांगल देस हमेस ||८०||
जहाँ शूरवीर,धनी व निर्दोष मन
वाले तथा विशेष स्नेही लोग निवास करते है, ऐसा बीकानेर का क्षेत्र (जांगल देश) देश व
विदेशों में सर्वत्र विख्यात है |
करता बांटी कायमी,
राजपूती एक सत्थ |
हाजर एक मेवाड़
जद,
बिजां लगी न हत्थ
||८१||
विधाता ने दृढ़ता और वीरता एक साथ ही बांटी थी | उस समय
केवल मेवाड़ ही वहां उपस्थित था | इसलिए अन्य किसी को वीरता व
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