Shyari part-02

Saturday, 12 April 2014

हठीलो राजस्थान-12



डिगीयौ नह गढ़ डीग रो,
तोपां ताव पड़ंत |
कोरां खांडी नीं हुई,
गोरां डिंग गलन्त ||७०||



वीर सूरजमल का शौर्य स्मारक डीग का दुर्ग तोपों की मार से भी डिगा नहीं | यद्धपि गोरों (अंग्रेजों) की डींग(बड़ी-बड़ी बातें) नष्ट हो गयी परन्तु इस दुर्ग की कोर भी खंडित नहीं हुई |

वीर धरा रजथान री,Description: https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirK0Orsgt0MzWDV1_u-sGMG8hKoWHYdLqKHZk41SVmTqBWgulYmbzDN89T9DHFqX_NhtmvRxkzJKqECQLxD-kHePEw49K0JbpDg6MDvrm6-s9vAjy6f7_X7H_c03hROH5I_upX4mT_i8nY/s1600/18pic4.jpg
सूरां में सिर मोड़ |
हल्दी घाटी घाटियाँ,
गढ़ां सु गढ़ चितौड़ ||


राजस्थान की यह वीर भूमि,वीर-भूमियों में शिरोमणि है | घाटियों में हल्दी-घाटी व दुर्गों में चित्तौड़ दुर्ग श्रेष्ठ है |

Description: https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhibut8MbXhd5bxZw_AzPLXSygEflYlaHKbO3Wa9oiboG_C5TvWNmFQJOMaEGFi-oWdxmHmyjfoiVhIH9fIFFtjc8ER3IrpwnYS3d7zkHvfwjjp8fuQHy40V5qBWiH7gj64NxLmcPpLvB4L/s1600/The_Battle_of_Haldighati.jpg

हल्दी घाटी साख दे,
चेटक झाला पाण |
इण घाटी दिसै सदा,
माटी माटी राण ||72||




हल्दी घाटी आज भी चेतक व झाला मान सिंह की कर्तव्य निष्ठा की साक्षी दे रही है | इस घाटी के कण-कण में आज भी महाराणा प्रताप के दर्शन होते है |

माथा बात भारवियो,
खनवा खेत सधीर |
धार तराजू तोलियो,
भारत भाग अखीर||७३||



खानवा के रण-क्षेत्र में तलवार की तराजू पर मस्तक के बाटों से भारत का भाग्य अंत में राणा सांगा के हाथों ही तोला गया |

बोल्यो सूरी बैण यूँ,
गिरी घाट घमसाण |
मूठी खातर बाजरी,
खो देतो हिंदवाण ||७४||



शेरशाह सूरी सुमेरगिरी गांव की घाटी में युद्ध करने के बाद बोला -' मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिंदुस्तान का राज्य खो देता |' इस युद्ध में जोधपुर के सेनापति राव जैता व कुम्पा ने दस हजार राजपूत सैनिकों के साथ सूरी की अस्सी हजार सैनिको वाली सेना के चालीस हजार सैनिक काट डाले थे और सूरी पराजित होते होते बचा था इस पर उसके मुंह से उपरोक्त वचन अनायास ही निकल पड़े थे |

सुर सारा अद्रस रमै,
नर-मुनि सुरपुर काज |
पाप नसाणो पुहुमिरा,
गुरुवर पुस्कर राज ||७५||



भूमि पर सभी के पापों को नष्ट करने वाला तीर्थराज पुष्कर सब तीर्थो में श्रेष्ठ है | यहाँ श्रेष्ठ नर,मुनि व अदृश्य रूप से देवता स्वर्ग का हित करने के लिए निवास करते है | अर्थात यहाँ स्नान करने वालों को स्वर्ग प्रदान कर ये देवता और मुनि स्वर्ग का ही हित करते है |

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