Shyari part-02

Thursday, 17 April 2014

हठीलो राजस्थान-58


नगर नगर सैली नई,
चित्र अनोखो चाव |
विवधा सैली सरसतां,
विधनां विवध सुझाव ||३४९||


यहाँ नगर-नगर की रचना में नई नई शैलियाँ है तथा चित्रकारी का अनूठा चाव है | एसा लगता है कि इनकी रचना करते हुए विधाता ने अपनी सारी ही कला सृष्टि को इन शैलियों में ढाल दिया है |

रंग रूप आकर रो,
चित्रण करे सवाय |
इण धर एक विसेसता,
अण रूपी चित्राय ||३५०||


रंग रूप आकर को देखकर तो सभी चित्रण करने वाले सौन्दर्ययुक्त चित्रण करते है किन्तु इस प्रदेश की यह विशेषता है कि यहाँ पर बिना देखि घटना को भी लोग चित्रित कर देते है जिसके अनुसार शौर्य प्रदर्शित कर लोग उस चित्रण को सही सिद्ध कर देते है |

रजपूती सैली अमर,
उण में भेद अनेक |
जाणे माणस बाग़ में,
नानां फूल विवेक ||३५१||


चित्रों की शैलियों में राजपूती शैली अमर है और उसमे भी अनेक भेद है ,मानो हृदय रूपी उद्यान में भावना के नाना फूल खिलें है |

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