बरसालो
बरसै भलो,
हवा न बाजै लेस |
धोरां में धापा करै,
मोरां हंदो देस ||२८६||
हवा न बाजै लेस |
धोरां में धापा करै,
मोरां हंदो देस ||२८६||
बरसात में अच्छी वर्षा
हो व हवा न चले तो रेगिस्तानी इलाके में भरपूर पैदावार होती है | एसा यह मरुप्रदेश है जहाँ मोर-पक्षी अधिक होते है |
बिन
बादल आकाश नित,
खै खै पवन चलाय |
काल पड़न्तां इण धरा,
मऊ मालवै जाय ||२८७||
खै खै पवन चलाय |
काल पड़न्तां इण धरा,
मऊ मालवै जाय ||२८७||
आकाश में कहीं बदल
दिखाई नहीं देते और सनन सनन हवाएं चल रही है | स्पष्ट ही ये अकाल के पड़ने के लक्षण है | अकाल पड़ने पर यहाँ के लोग पशुओं को लेकर मऊ-मालवे
(मध्य-प्रदेश) की और चल देते है |
धर
ऊपर सुरंगी धरा,
जिण विध देखो आय |
काल पड़न्तां कामणि,
धन बालक रुल जाय ||२८८||
जिण विध देखो आय |
काल पड़न्तां कामणि,
धन बालक रुल जाय ||२८८||
वर्षा होने पर यह धरती
स्वर्ग सी दिखाई देती है ,परन्तु
अकाल पड़ने पर यहाँ के नर,नारी,बालक तथा पशुधन सब अन्य प्रदेशों में पलायन करने को
विवश हो जाते है |
बाजै
सीली बायरी,
ऊपर गाजै मेह |
सीयालो आयो सखी,
कऊं हथाई नेह ||२९३||
ऊपर गाजै मेह |
सीयालो आयो सखी,
कऊं हथाई नेह ||२९३||
ठंडी हवा चल रही है और
ऊपर से वर्षा के बादल गरज रहे है | हे
सखी ! शीत ऋतू आ गई है | इसमें
तो अलाव पर तपते हुए आपसी बातचीत करना ही प्रीति वर्धक होता है |
पीणों, पचणों , पैरणों
,
सरदी साथै आय |
खाणों , रैणों खेलणों ,
सीयालै सुख दाय ||२९४||
सरदी साथै आय |
खाणों , रैणों खेलणों ,
सीयालै सुख दाय ||२९४||
पानी,पचना और पहनना ये सर्दी के साथ आते है | साथ ही भोजन ,रहना और खेलना ये सब शीत ऋतू में ही सुखदायी होते
है |
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