लाल
उमंग ,लाली धरा,
चोली लाल फुहार |
रोली लाल गुलाल मैं,
होली लाल त्युंहार ||३०१||
चोली लाल फुहार |
रोली लाल गुलाल मैं,
होली लाल त्युंहार ||३०१||
फाल्गुन के महीने में
लोगों के ह्रदय उमंग से भरे हुए है,जगह-जगह
गुलाल के बिखर जाने से धरती लाल हो गई है ,लाल रंग व गुलाल से ललनाएं होली खेलती हुई चोलियों
पर रंग फैंक रही है ,एसा यह रंगीला त्यौहार
होली आ गया है |
डंडिया
नाच गुवाड़ में,
हंडियां खरलां साज |
रमणी गैरां मोद-मन<
रामा सामा आज ||३०२||
हंडियां खरलां साज |
रमणी गैरां मोद-मन<
रामा सामा आज ||३०२||
होली के दुसरे दिन का
वर्णन करते हुए कवि कहता है - गांव के चौक में गिंदड़ (डंडिया रास) का खेल हो रहा
है | खरलों में हंडिया सजी हुई है | युवतियां मस्त होकर गेर खेल रही है | आज रामा-श्यामा का दिन है |
चेत
सुमास बसंत रितु,
घर जंगल सम चाव |
गोरी पूजै गोरड़यां,
बाँवल फोग बणाव ||३०३||
घर जंगल सम चाव |
गोरी पूजै गोरड़यां,
बाँवल फोग बणाव ||३०३||
बसंत ऋतु के चेत्र मास
में घर और जंगल सब जगह प्रसन्नता की लहर है | स्त्रियाँ फोग (राजस्थान में होने वाला एक विशेष
पौधा) का बाँवल बना कर गोरी की पूजा कर रही है |
निमजर
फूली नीमडै,
लहलायौ सह गात |
हँसे ज्यूँ आकास में,
तारा गुदली रात ||३०४||
लहलायौ सह गात |
हँसे ज्यूँ आकास में,
तारा गुदली रात ||३०४||
चेत में मास में नीम
के पेड़ मिन्झर से लद गए है | ये
ऐसे लग रहे है जैसे धुंधली रात में तारे दमक रहें हो |
फूल्यो
आज पलास बन,
लाली नजर पसार |
रज गुण सूर सभाव रौ,
सकल धरी साकार ||३०५||
लाली नजर पसार |
रज गुण सूर सभाव रौ,
सकल धरी साकार ||३०५||
आज जिधर नजर दौड़ाओ,उधर जंगल में पलाश के पेड़ लाल फूलों से लहक रहे है
| मानों शूरवीरों की धरती का रजोगुण ही इस लालिमा के
रूप में साकार हो रहा है |
रोहीडै
कलियाँ खिली,
रुड़ी, रूप प्रवीण |
जाणे बहु बजार री,
रुपाली गुण हीण ||३०६||
रुड़ी, रूप प्रवीण |
जाणे बहु बजार री,
रुपाली गुण हीण ||३०६||
रोहिडे (एक वृक्ष) की
गंध हीन लाल-लाल कलियाँ बड़ी रुचिर लग रही है परन्तु ये ऐसी ही है , जैसे वारवधुएँ (वेश्याएं) केवल देखने में ही सुन्दर
है ,गुणों में नहीं |
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