अमलां
हेलो आवियौ,
कांधे बाल लियांह |
केरो केरो झाँकतो,
ढ़ेरी हाथ लियांह ||२०८||
कांधे बाल लियांह |
केरो केरो झाँकतो,
ढ़ेरी हाथ लियांह ||२०८||
जब अमल लेने के लिए
आवाज हुई तो अमलदार (अफीमची) जिसके कन्धों तक बाल थे,अमल की ढ़ेरी हाथ में लिए टेढ़ा-टेढ़ा देखता हुआ
पहुंचा |
लालां
सेडो झर झरै,
अखियाँ गीड अमाप |
जीतोड़ा भोगै नरक,
अमली माणस आप ||२०९||
अखियाँ गीड अमाप |
जीतोड़ा भोगै नरक,
अमली माणस आप ||२०९||
जिसके मुंह से लार
टपकती रहती है,नाक से सेडा(गन्दा पानी) बहता रहता है और आँखों में
अपार गीड भरे रहते है | एसा
अमल का नशा करने वाला मनुष्य इस संसार में जिन्दा रहकर नरक ही भोग रहा है |
मीठा
माथै मन रमै,
बेगो बावड़ीयोह |
बंदाणी जूवां चुगै,
तपतां ताबड़ीयोह ||२१०||
बेगो बावड़ीयोह |
बंदाणी जूवां चुगै,
तपतां ताबड़ीयोह ||२१०||
प्रतिदिन अमल खाने
वाला (बंदाणी) धूप में बैठा अपने कपड़ों से जुएँ निकाल रहा है | नशा करने का समय नजदीक आता जा था व पास में अफीम
नहीं था | इसलिए किसी को अमल लाने के लिए भेजता है व निर्देश
देता है कि मुंह में मिठास आने लगा है (अर्थात नशा पूरी तरह उतरने वाला है)अत: तू
अफीम लेकर के जल्दी आना |
कर
लटकायाँ उरणियो,
कांधे दीवड डाल |
दलपत आगै हालियो,
एवड रो एवाल ||१२१||
कांधे दीवड डाल |
दलपत आगै हालियो,
एवड रो एवाल ||१२१||
हाथ में उरणिया (भेड़
का बच्चा) लटकाए हुए और काँधे पर दीवडी (चर्म से बना जल पात्र) डाले हुए रेवड़ के
आगे-आगे गडरिया चल रहा है |
गल
टोकर टण टण बजै,
सांपै रांभ सजीव |
अलगोजां री तान बिच,
उछरी छांग अजीब ||२१२||
सांपै रांभ सजीव |
अलगोजां री तान बिच,
उछरी छांग अजीब ||२१२||
पशुओं के गले में
टोकरे टण-टण करते हुए बज रहे है | पशुओं
के रंभाने की आवाजें गूंज रही है | अलगोजों
की तान के बीच पशुओं का समूह अजीब चाल से चला आ रहा है |
बाजै
घंटी देहरां,
गल ढ़ोरां गरलाय |
भव-सागर तैरावणी,
बेतरणी तैराय ||२१३||
गल ढ़ोरां गरलाय |
भव-सागर तैरावणी,
बेतरणी तैराय ||२१३||
मंदिरों में बजने वाली
घंटी की आवाज जिस प्रकार वैतरणी नदी को पार करा देती है उसी प्रकार पशुओं के गले
से बंधी घंटी की आवाज संसार-सागर से पार उतार देती है |(पशुपालन से अर्थ व्यवस्था व भगवान् के भजन से परलोक
गमन की बाधाएं दूर होती है )
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