होतो नह मेवाड़ तौ,
होती नह हिन्दवाण |
खान्ड़ो कदै न खडकतौ,
भारत छिपतो भाण ||८२||
यदि मेवाड़ नहीं होता तो कभी युद्ध भी नहीं होता व हिंदुत्व भी रक्षित नहीं
होता; व इस प्रकार भारत का सूर्य भी अस्त हो जाता है |
बागड़ धर बैसाख में,
आम घणेरा आय |
चावल निपजै चाव सूं,
सुराई सजलाय ||८३||
आम घणेरा आय |
चावल निपजै चाव सूं,
सुराई सजलाय ||८३||
बागड़ की इस धरती में बैसाख मॉस में आम बहुतायत से होते है | इस प्रदेश के शूरवीरों की
वीरता की पांण से भूमि सजल हो गई है इसलिए यहाँ चावल भी बहुतायत से पैदा होता है |
अमल धरा पर उपजै,
चम्मल रौ परताप |
संबल दुखियां दीं री,
हाडौती बल आप ||८४||
चम्मल रौ परताप |
संबल दुखियां दीं री,
हाडौती बल आप ||८४||
हाडौती की धरती पर अमल तो चम्बल नदी के प्रताप से उत्पन्न होता है | किन्तु दीन दुखी लोगों को
आश्रय तो हाडौती की यह धरती स्वयं अपने ही बल पर देती है |
सिर ओही लूंठी धरा,
रोही लूंठी ख़ास |
वा नर-सिंघा आसरो ,
(आ) सिंघा रो रहवास ||८५||
रोही लूंठी ख़ास |
वा नर-सिंघा आसरो ,
(आ) सिंघा रो रहवास ||८५||
सिरोही की भूमि व जंगल दोनों ही बलवान है | एक में नर-सिंह व दुसरे में
वन-सिंह निवास करते है |
कहसी भेद सु सकल जन,
सिर धरियौ जिण ताज |
जो रहसी अजमेर पर,
करसी भारत राज ||८६||
सिर धरियौ जिण ताज |
जो रहसी अजमेर पर,
करसी भारत राज ||८६||
सभी लोग यही मर्म की बात कहेंगे कि जो शासक सिर पर मुकुट धारण कर अजमेर पर
शासन करेगा वही भारत पर पर भी राज्य करेगा | (राजस्थान में यह किवंदती
प्रचलित है कि अजमेर के शासकों का ही दिल्ली पर पुन: आधिपत्य होगा) |
वसुधा भोगी बाहुबल,
अगनी तेजस अंस |
आबू पर अवतारिया,
चारुं अगनी बंस ||८७||
अगनी तेजस अंस |
आबू पर अवतारिया,
चारुं अगनी बंस ||८७||
जिन्होंने अपने बाहुबल से पृथ्वी का उपभोग किया है ,जो अग्नि के तेजोमय अंश है ,क्षत्रियों के ऐसे प्रतापी
चरों ही अग्नि वंश इस आबू पर्वत पर अवतरित हुए है |
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