Shyari part-02

Saturday, 24 January 2015

Ek Tamanna (एक तमन्ना)



एक तमन्ना थी इस दिल की तमन्ना बन के रह गई।
सोचा था जाउगा मैं भी  दूर आसमान के किनारे,
जाना था जहाँ वो किनारे कही खो गए ,
बस छाई है तन्हाई इस आसमान मे
ना जाने वो लम्हे कहा बीत गये ।
मन तो एक पंछी है जग की  बैडियो को क्या जाने।
एक तमन्ना थी  इस दिल की  तमन्ना बनके रह गई ।
आज एक उत्साह था, उमंग थी, तरंग थी इस मन मे,
पर ना जाने क्यों होसलो की उड़ान नही भर पाया ।
कुछ तो है, कहि तो है,
एक कसक है मन मे,
ना जाने कब ये पूरी होगी।
एक तमन्ना है इस दिल की तमन्ना बन के रह गई ।
By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

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