Shyari part-02

Friday, 4 July 2014

भंवर अभिमन्यु सिंह गौड (Rajputana Proud)


भंवर अभिमन्यु सिंह गौड
सुपोत्र श्री ठाकुर हरि सिंह जी गौड
सुपुत्र श्री कुँवर पुष्पेंद्र सिंह जी गौड
ठिकाना भैंसरोडगढ (राजस्थान)



भंवर अभिमन्यु सिंह गौड ने इस वर्ष(2014) एक साथ चार प्रतियोगिता परिकशा में सफलता प्राप्त कर अपने समाज का ओर गाव नाम रोशन किया है
बना ने  IIT-2014 में All India Rank 2343 प्राप्त की, 
वही उन्होंने BITS-2014 में 321 का स्कोर कर गोआ में Chemical Branch प्राप्त की,
NEST-2014 में बना अभिमन्यु सिंह गौड ने All India Rank 118 प्राप्त की,
ओर VIT-2014 में बना अभिमन्यु सिंह गौड ने All India Rank 2215 के साथ B.Tech Computer Science And Engineering Branch प्राप्त की
अब बना IIT जोधपुर से Computer Science And Engineering Branch में B.Tech करैगे

इस तरह बना ने एक साथ चार प्रतियोगिता परिकशा में सफलता प्राप्त कर अपने समाज का ओर गाव नाम रोशन किया है ओर राजपूताना को अपने इस होनहर पे गर्व है, हम बना के भावी जीवन में ऑर अधिक सफलता कि कामना करातें है
जय राजपूताना

Thursday, 17 April 2014

हठीलो राजस्थान-60



तीरथ न्हाया नह कदै,
नायो नह शिव-माथ |
छिनेक जुंझ कमावियो,
सारो पुन इक साथ ||३५८||


इस धरती के लोगों ने कभी तीर्थ-स्थान किया है और शिव के आगे मस्तक झुकाया है | इन्होने तो क्षण भर रण-भूमि में जूझ कर ही सारा पुण्य एक साथ कमा लिया है |

सुर - धर जावण इण धरा ,
मारग फंटे अनेक |
सूधौ मारग जस भरयौ,
धारा तीरथ एक ||३५९||


इस धरती से स्वर्ग गमन के कई मार्ग जाते है | लेकिन इन मार्गों में एक ऐसा मार्ग है जो सीधा भी है यश से परिपूर्ण भी | यह मार्ग तलवार की धार रूपी तीर्थ में स्नान करके स्वर्ग जाने का है | अर्थात रण-भूमि में शौर्य प्रदर्शित करते हुए जो शहीद होते है वे सीधे स्वर्ग गमन करते है |

नह जोगां नह तिथ मुरत,
नह अडिक, अध सेस |
धारा तीरथ न्हावतां,
सूधो सुरग प्रवेस ||३६०||


तो किसी प्रकार के योग की आवश्यकता है और ही किसी तिथि, मुहूर्त का इन्तजार करना पड़ता है ,अपितु तलवार की धार रूपी तीर्थ में जो स्नान करता है उसे सीधे स्वर्ग में प्रवेश मिलता है क्योंकि उसके कोई भी पाप शेष नहीं रहते अर्थात पाप भी तलवार की धार से (शहादत से) कट जाते है |


हठीलो राजस्थान -59


आंधी जठे उतावली,
पाणी कोसां दूर |
उण धर सांठा नीपजै,
जल जीवां भरपूर ||३५२||


जिस मरू-प्रदेश में प्रचंड आंधियां आती है तथा पानी भी कोसों दूर मिलता है , वहां की धरती पर गन्ने भी उत्पन्न होते है तथा जल-जीवों की भी कमी नहीं है | अर्थात यह धरती ऊसर ही नहीं, उर्वरा भी है |

डरता माणस जावता ,
चोरां रो नित बास |
वो धर आज बसावणो,
पास पास रहवास ||३५३||


जहाँ कभी चोरों की बस्ती थी उस क्षेत्र में लोग जाने से भी डरते थे, वहीँ पर अब घनी आबादी हो गयी है |

विधन बणाई जिण धरा,
रेतीली जल हीन |
काया बदली काम सूं,
माणस हाथ प्रवीण ||३५४||


विधाता णे जिस धरती को रेतीली बिना जल वाली बनाया, उसे ही मनुष्य णे अपने परिश्रम से उर्वर बनाकर उसकी काया पलट कर दी |

बादल भेजै बरसवा,
नभ-मारग गिर राज |
नहरां आतां इण धरा,
सीधो मारग आज ||३५५||


गिरिराज हिमालय आकाश मार्ग से बादल जल बरसाने हेतु भेजता है | परन्तु नहरें आने से इस धरती पर (जल प्रवाह से) सीधा मार्ग बन गया है |

अन्न धन होसी मोकलो,
चुल्हां बलसी आग |
बंध बणतां जागियौ,
सदियाँ सोयो भाग ||३५६||


इस धरती पर अब प्रचुर अन्न धन्न पैदा होगा | जिससे हर घर में चूल्हे जलने लगेंगे | बाँध बनने के साथ मानो इस मरुधरा का सदियों से सोया भाग्य जाग उठा है | अर्थात अब यहाँ सुख-समृधि विलसने लगेगी |

बंधा नहरां बीजल्यां,
घर घर विद्या-दान |
इण विध आगे आवियो,
नूतन राजस्थान ||३५७||


बाँध,नहरें,विद्युत तथा शिक्षा का आगमन हो गया है | इस तरह से अब एक नया ही राजस्थान हमारे सामने गया है |

Mera Desh Ro Raha Hai