सबल साहित इण धरां,
सबल सुभट निवास |
इक इक दूहा उपरै,
नित नूतन इतिहास ||३३७||
सबल सुभट निवास |
इक इक दूहा उपरै,
नित नूतन इतिहास ||३३७||
इस धरती का साहित्य समृद्ध है यहाँ बलवान योद्धा निवास करते है | दूसरी जगह तो वीरों की गाथाओं का वर्णन करने के लिए कविताओं की रचना की जाती है लेकिन यह राजस्थान ऐसा प्रदेश है कि कवि अपनी कल्पना से जैसे पराक्रम का वर्णन करता है उसी प्रकार का पराक्रम शूरवीर युद्ध में दिखाता है |
सत पूरण साहित में,
पूरी निज अनुभूत |
कवियां रचियो ओ नहीं,
रचियो रण-अवधूत ||३३८||
पूरी निज अनुभूत |
कवियां रचियो ओ नहीं,
रचियो रण-अवधूत ||३३८||
यहाँ के साहित्य में अपनी सम्पूर्ण अनुभूति व पूर्ण सत्य छिपा हुआ है क्योंकि इस साहित्य की रचना शूरवीरों ने की है न कि कवियों ने | अर्थात कथानक के रचनाकार स्वयं शूरवीर थे ,कवि ने उसे केवल भाषा प्रदान की है |
ज्यूँ बादल में बिजली,
म्यान बिचै ज्यूँ नेज |
सूरा रस साहित्य में ,
अगनी में ज्यूँ तेज ||३३९||
म्यान बिचै ज्यूँ नेज |
सूरा रस साहित्य में ,
अगनी में ज्यूँ तेज ||३३९||
जिस प्रकार बादल में बिजली है ,म्यान में तलवार है तथा अग्नि में तेज है, वैसे ही साहित्य में अन्य रसों में वीर-रस है |
जिण धर साहित वीर रस,
साहित उण सिणगार |
साथै दोनूं रस सदा ,
किसो विरोधाचार ||३४०||
साहित उण सिणगार |
साथै दोनूं रस सदा ,
किसो विरोधाचार ||३४०||
जिस भूमि के साहित्य में वीर रस का बाहुल्य है वहां के साहित्य में श्रृंगार रस का भी बाहुल्य देखा गया है | यह दोनों रस हमेशा साथ रहते है | यह कैसा विरोधाभास है ? सामान्य दृष्टि से श्रृंगार व वीरत्व विरोधी आचरण है किन्तु क्षात्र-धर्म की परम्परा में सुख भोग व कातर की पुकार पर सर्वस्व न्योछावर कर देने की परम्परा अक्षुण है |
संतां अमृत वाणियाँ,
वेद वेदान्तां सार |
एक सरीसी बह रही,
सान्त तणी रस-धार ||३४१||
वेद वेदान्तां सार |
एक सरीसी बह रही,
सान्त तणी रस-धार ||३४१||
संतो की वाणियों से प्रवाहित होने वाला भक्ति का अमृत रस व ज्ञानियों के मुख से प्रकट होने वाला वेदान्त का उज्जवल सार यहाँ पर एक साथ बहता हुआ शांत रस की धारा सा प्रतीत होता है |
जलमै साहित जीवणों,
जुग जुग धरा जरुर |
भजन भाव भगवान् रा,
भगती रस भरपूर ||३४२||
जुग जुग धरा जरुर |
भजन भाव भगवान् रा,
भगती रस भरपूर ||३४२||
इस धरती पर युग-युग तक जीवित रहने वाले शाश्वत साहित्य का सृजन हुआ है , जो भगवान् की आराधना और भक्ति-रस से पूरित है |