खल खंडण,मंडण सुजण,
परम वीर परचंड |
तो भुज -दंडा उपरे,
भारत करै घमण्ड ||१६||
दुष्टों का नाश और सज्जनों का
पालन करने वाले यहाँ के वीर अत्यंत प्रचंड है ; जिनके भुज-दण्डो पर भारत को
गर्व है|
भारथ कर भारत रंग्यो,
कण-कण भारत काज |
राखी भारत लाज नित,
अंजसे भारत आज ||१७||
यहाँ के वीरों ने भारत -भूमि की रक्षा के लिए प्रचंड युद्ध करके भारत-भूमि के
कण-कण को रक्त-रंजित कर दिया | उन्होंने सदैव भारत की लाज
रखी,जिस पर आज भी देश गर्व करता है |
मत कर मोद रिसावणों,
मत मांगे रण मोल |
तो सिर बज्जे आज लौ ,
दिल्ली हन्दा ढोल ||१८||
हे राजस्थान ! तू अपनी वीरता पर गर्व मत कर ,रुष्ट भी मत हो और न रण भूमि
में लड़ने के लिए प्रतिकार के रूप में किसी प्रकार के मूल्य की ही कामना कर | क्योंकि आज तक दिल्ली की
रक्षा के लिए आयोजित युद्धों के नक्कारे तेरे ही बल-बूते बजते रहे है |
हरवल रह नित भेजणा,
चुण माथा हरमाल |
बाजै नित इण देश रा,
तो माथै त्रम्बाल ||१९||
तुने सदैव युद्ध-भूमि में रहकर भगवान् शिव की मुंड-माला के लिए चुन-चुन कर
शत्रुओं के शीश भेजे है | तेरे बाहू-बल के भरोसे ही इस
देश के रण-वाध्य बजते आये है |
पान फूल चाढ़े जगत,
अमल धतुरा ईस |
थुं भेजे हरमाल हित,
चुण-चुण सूरां सीस ||२०||
संसार भगवान शंकर को पत्र-पुष्प तथा अफीम-धतूरे आदि की भेंट चढ़ाता है ,किन्तु हे राजस्थान ! तूं तो
उनकी मुंड-माला के किये चुन-चुन कर शूरवीरों के शीश समर्पित करता है |
हिंद पीछाणों आप बल,
करो घोर घमसाण |
बिण माथै रण मांडणों ,
हरबल में रजथान ||२१||
हे भारत ! तुम अपनी शक्ति की स्वयं पहचान करो व घमासान युद्ध में जुट जाओ | तुम क्यों डरते हो ? सिर कटने पर भी भयंकर संग्राम
करने वाले वीरों का देश राजस्थान आज युद्ध-भूमि में अग्रिम पंक्ति (हरावल) में जो
है |