Shyari part-02

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Monday, 5 January 2015

Jindgi (जिंदगी)



जिंदगी की राहे भी बहुत है 
जिंदगी के सितम भी बहुत है
जिंदगी मे हसने और रोने के बहाने भी बहुत है
जिंदगी के इस राह मे काफिले भी बहुत है
जिंदगी के इस जहा मे तुम अपनी राह बनाये चलना
ये जिंदगी है मेरे दोस्त 
थोड़ी गमो की फुहार फिर खुशियो की बारिश है
जिंदगी की इस जंग मे खुद को तुम जमाये रखना 
दुनिया की इस भीड़ मे अपनों का साथ बनाये रखना 
मिलेगे लोग बहुत पर उनको परख कर अपनाना 
पर जिंदगी के इस जहाँ मे किसी को दिल मे बसाये रखना

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Sunday, 4 January 2015

जागो उठो


जागो उठो बढ़ो ये वक़्त तुम्हारा है, और तुम इसके वाहक,
बढ़ाओ कदम से कदम थामे एक दूजै का हाथ ,
एक आवाज में कर दो शंख्नाद इस नए युग का, 
हो उची आवाज तुम्हारी की सत्ता के गलियारे कापै, 
तुम्हे मई है वो आग जो पत्थर को भी पिघला सके ,
तो ये शीर्ष सिहासन पर बैठे ये नेता क्या है ...?
आज आग है इस देश युवा,
जो है फोलादी सीनै वाला,
ना वो कभी कैसे से डरा ,
ना अपने मार्ग से भटका है,
दृढ है प्रतिज्ञा हमारी की लायेगे वो भारतवर्ष जो था कभी सोने की चिड़िया 

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Mera Desh Ro Raha Hai